प्राचीन समय से ही भारत में महिलाओं का पहनावा सूती साड़ी [Cotton Saree] था जो की एक नारी को समाज में आदर्शवादी, सुन्दर और सम्मानीय बनाती थी जोकि आज भी क़ायम हैं।
सूती साड़ी [Cotton Saree] नारिओं का एक पारम्परिक पोशाक हैं जो त्यौहार या उत्सव, शादी या पार्टी और किसी विशेष अवसर पर महिलायें पहनती हैं। जैसे दिवाली पर महिलायें बहुत आकर्षक चमकदार साड़िओं को पहनती हैं जोकि उत्सव के माहौल को ओर भी ज़्यादा भावपूर्ण बना देती हैं।
ठीक इसी तरह होली जिसमें हल्के रंग की साड़ी पहनती हैं जोकि होली के रंगों के साथ मिल जाती हैं। किसी धार्मिक अनुष्ठान में लाल, पीले, हरे और सफ़ेद रंग की मिली हुई साड़ियों को पहना जाता हैं जिससे धार्मिक कार्यक्रम का माहौल भी रम जाता हैं।
साड़ी बनाने में कई तरह की कपड़ों का उपयोग किया जाता हैं जो भारत के ऋतुओं के अनुसार बनाये जाते हैं। कपड़े सूती, रेशम, जोर्जेट, मेरिनो ऊन, मलमल, पॉलिएस्टर, साटन, तफ़ता आदि और भी प्रकार के होते हैं। आज हम सूती [Cotton]के बारे में चर्चा करेंगे और सूती कपड़ों [Cotton Fabric] से बनाने वाले साड़िओं के विषय में भी बात करेंगे।
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कपास [cotton] क्या हैं?
कपास [Cotton] एक झाड़ी नुमा पेड़ हैं जिस पर छोटे-छोटे फल होते हैं जो बाद में पककर फूट जाते हैं और बहुत ही नरम मुलायम सफ़ेद रंग की रूई आकार ले लेती हैं। इनमे बीज होते हैं, इन बीजों को अलग करके धागों का आकार हैं जो की गांव व शहरों में अलग-अलग साधनों और मशीनों के द्वारा किया हैं। कपास के धागों से बने कपड़े बड़े आरामदायक और मुलायम होते हैं। यह अधिकतर गर्मिओं में इस्तेमाल होता हैं क्योकि इससे बने कपड़े त्वचा को सांस लेने में सहायक होते हैं और इसलिए इसके बने हुए कपड़े गर्मिओं के दिनों में शरीर को ठण्डा रखती हैं।
कपास के धागों से कई प्रकार के पोशाके तैयार होती हैं जिसमें साड़ी, सूट, कुर्ता-पैजामा आदि अनेकों भी ।
कपास को सूती [Cotton] भी कहते हैं और सूती या कपास से कई तरह के कपड़े तैयार होते हैं जो की निम्न प्रकार से हैं,
सबसे अच्छी गर्मियों के लिए सूती साड़ियां | Best and comfortable Summer Cotton Sarees –
- Sambalpuri Saree [संबलपुरी साड़ी]
- Tant Saree [तांत साड़ी]
- Kanjeevaram Cotton Silk saree [कांजीवरम साड़ी]
- Jamdani Saree [जामदानी साड़ी]
- Khadi cotton saree [खादी सूती साड़ी]
1- Sambalpuri Saree [संबलपुरी साड़ी] –
इन साड़िओं का उत्पादन भारत में उड़ीसा के संबलपुर, बरगढ़, बलांगीर, बौध और सोनपुर जिलों में होता है। संबलपुरी साड़ीओं को पारम्परिक ढंग और मूल छविओं, ज्यामितीय पैटर्न और रंगो के साथ बनाया जाता हैं। ये साड़ियां ग्रीष्म ऋतु में बहुत आराम देती हैं और शरीर को भी शीतल रखती हैं। ये साड़ियां मशीनों और पारंपरिक ढंग से यहाँ के लोग विशेष कर महिलाए बनाती हैं।
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2- Tant Saree [तांत साड़ी] –
तात साड़ी एक पारम्परिक बंगाली साड़ी हैं जो की पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम के बुनकरों के द्व्रारा बनाई जाती हैं।
पश्चिम बंगाल के शांतिपुर क्षेत्र में लगभग सभी अपने घर पर साड़ी बनने के मशीने लगाकर विभिन्न रंगो और डिज़ाइन की साड़िओं का व्यवसाय करते हैं जोकि पूरे भारतवर्ष के अलावा संसार के विभिन्न क्षेत्रों में आयात किया जाता हैं। ये साड़ियां भी गर्मिओं के ऋतु में बहुत आराम पहुँचती हैं।
3- Kanjeevaram Cotton Silk saree [कांजीवरम साड़ी] –
कांजीवरम साड़ियों की उत्पत्ति का मूल भारतबर्ष के तमिलनाडु के कांचीपुरम गांव से हुई है। ये साड़ियां बहुत ही सुन्दर होती हैं और पहने के बाद उस महिला की शोभा को और भी ज़्यादा बड़ा देती हैं। ये साड़ियां सूती और सिल्क दोनों धांगो को मिलाकर बनाया जाता हैं। जिसका सूती-सिल्क धागा और जरी करने का सारी सामग्री दक्षिण भारत से आता हैं। ये साड़ियां ज़्यादातर शादी के समय दुल्हन को या फिर किसी विशेष उत्सव पर महिलायें पहनती हैं। कांजीवरम साड़ियों का मूल्य लगभग २,000/- शुरू होकर 10,000/- और 50,000/- तक होती हैं। यह मूल्य साड़ी के काम पर निर्भर करता हैं।
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4- जामदानी साड़ी [Jamdani Saree] –
जामदानी साड़ी को ढाकाई जामदानी साड़ी के नाम से भी जानते हैं। ये साड़ियां बांग्लादेश के ढाका शहर में मुग़ल साम्राज्य के राज्य में बनाना शुरू हुआ था और तभी से इन साड़ियों को ढाकाई जामदानी के नाम से जानते हैं। यह पूरी तरह से सूती धागों से बनाये जाते हैं। इन साड़ियों को आकर्षक बनाने के लिए रेशम और जरी का भी प्रयोग किया जाता हैं। जिससे ये और भी ज़्यादा सुन्दर और रोचक दिखने लगते हैं। ये साड़ियां गर्मीओं में बहुत आराम दायक होती हैं और यह हर एक मूल्य में आसानी से उपलब्ध होजाती हैं। इनका मूल्य 500/- से 2000/- तक दैनिक पहनें के लिए और विशेष उत्सव या शादी के लिए 2000/- से 50,000/- तक या इसका मूल्य इससे भी अधिक हो सकता हैं।
5- खादी सूती साड़ी [ Khadi Cotton Saree ]-
खादी के कपड़े के लिए कपास खेत में उगाया जाता हैं और उस कपास के फूल से रेशों और बीज़ दोनों को अलग किया जाता है। अब रेशों को इकट्ठा करके चरखा की मदत से धागों को बनाया जाता हैं। इसके बाद इन धागो से बुनकर कपड़े को बुनते हैं। खादी सूती के कपड़े गर्मीं और सर्दियों दोनों में आराम देती हैं। इसका मूल्य 500/- से 2000/- में बहुत अच्छी साड़ी मिल जाती हैं और यदि साड़ी को बहुत आकर्षक बनाया गया हैं तो मूल्य बढ़ भी सकता हैं।
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